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V. Aaradhyaa

Romance Fantasy Inspirational

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V. Aaradhyaa

Romance Fantasy Inspirational

स्वीकार तो करो

स्वीकार तो करो

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जो दिया, जितना दिया, जैसे दिया

तेरी दी हुई किसी चीज को

हमेशा ख़ुशी से स्वीकार किया मैंने,

तू ही बता ऐ ज़िन्दगी...

क्या कभी तेरा तिरस्कार किया मैंने!

ज़ब तू बादल बनकर बरसी

तो मेरी अँखियाँ हर्षी ,

ज़ब तू जेठ तपती की दुपहरी बनी,

मैं कब तुझसे जिद में ठनी

दुख की हर रात के बाद खुशियों की

चमकीली धूप का इंतजार किया मैंने,

ऐ ज़िन्दगी आ बैठ मेरे जानिब

तुझे हर सूरत में चाहा है, सराहा है,

तू ही बता तुझे कभी इनकार किया मैंने

तुझे तो हर रूप में स्वीकार किया मैंने!



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