स्वदेश से फर्ज निभाना है
स्वदेश से फर्ज निभाना है
बाहर का अंधियार मिटा,
अंतर्मन का दीप जलाना है।
सद ज्ञान का प्रकाश फैला,
भारत देश चमकाना है।
शुद्ध कर निज मन मंदिर,
भारतीयों में प्रेम का दीप जलाना है।
चहुं दिशि यश वैभव सुख बरसे,
ऐसा हर स्वप्न जगाना है।
भेदभाव ऊंच-नीच की दीवार ढहा,
समानता का दीप जलाना।
सर्वहित संकल्प सजा,
पूजा का थाल बनाना है।
अशिक्षा का तमस हटा,
ज्ञान का प्रकाश फैलाना है।
स्वस्थ जीवन वृत्त अपना,
आरोग्य का मंत्र सिखाना है।
पर्यावरण का ध्यान रख,
भारत मां का कर्ज़ चुकाना है।
देशहित में सजग बन,
स्वदेश से फर्ज निभाना है।