स्वभाव में शुद्धता
स्वभाव में शुद्धता
रख स्वभाव में शुद्धता का स्पर्श तू
उपवन में प्यार से सींचा हुआ फूल खिलेगा
फूलों की माला में गुथा जाति धर्म हमारा
इन फूलों की माला में एक नया रंग मिलेगा
रख स्वभाव में शुद्धता का स्पर्श तू
तो हर दुखों में खुशियों का एहसास मिलेगा
चाहे जीवन में आ जाए कितनी भी रुकावट
हर रुकावटों में भी रेशम का आभास मिलेगा
छोड़ दे झूठ नफरत की बस्ती को तू
हर व्यक्ति में तुझे एक सच्चा इंसान मिलेगा
रख स्वभाव में शुद्धता का स्पर्श तू
सुखी डाली पर भी सुंदर फूल खिलेगा
पल-पल मौसम बदलता है करवट यहाँ
हर मौसम संग तुझे प्रकृति का एक संदेश मिलेगा
आंखों ही आंखों से खुशियों का दीप जलेगा
रख स्वभाव में शुद्धता का स्पर्श तू
सूने पल में भी अपनों का साथ मिलेगा।
