सूनी सी लगती है ये मधुशाला
सूनी सी लगती है ये मधुशाला
सावन में यूं बरसे हैं रिमझिम बारिश का मौसम हुआ आज यूं मतवाला सा ।
हरियाली से महक सी गई ये प्रकृति की सुंदर छवि है मधुशाला सा ।
सजनी साजन आज झूल रहे पी कर प्रेम का प्याला का ।
टप टप बूंदें महका रही है यौवन की धुन में फूल खिलते मधुशाला सा।
गीत मिलन के गूंज रहे है प्रेम रंग शब्दों ने डाला का ।
राह देखे प्रेम पीया का ये विरहन की रीत सदा बनी ये मधुशाला सा ।
बैरन विरह की चिंगारी में ये यौवन मारे एक उच्छाला सा ।
नींद नहीं वो आने देती है क्यों तेरी यादों की वो मधुशाला का ।
बिन साजन आज कैसे बुझे भी ये यौवन की यह कैसी हाला का ।
पीया बसे परदेश माही साथ सूनी सी लगती है ये मधुशाला सा ।