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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Romance Others

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Romance Others

सूखे हुए पत्तों की कहानी

सूखे हुए पत्तों की कहानी

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सूखे हुए पत्तों की कहानी बता कर 

कहाँ चले गये हरियाली पता कर ,

ढूंढे तुम्हें वहां चश्मे नजरे लगा कर 

क्यूं भागते हो अंधेरे में समा कर !


नादान पर विश्वास बहुत था 

तुम्हें तो अहसास बहुत था 

आ ही जायेंगे तुमसे मिलने 

तुमसे ही तो रास बहुत था !


वक़्त फिर बचा क्या है 

ना मालूम कहाँ क्या है 

आंखें मूंद कर जहाँ देखो 

रब ने आखिर रचा क्या है !!


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