सूखे हुए पत्तों की कहानी
सूखे हुए पत्तों की कहानी
सूखे हुए पत्तों की कहानी बता कर
कहाँ चले गये हरियाली पता कर ,
ढूंढे तुम्हें वहां चश्मे नजरे लगा कर
क्यूं भागते हो अंधेरे में समा कर !
नादान पर विश्वास बहुत था
तुम्हें तो अहसास बहुत था
आ ही जायेंगे तुमसे मिलने
तुमसे ही तो रास बहुत था !
वक़्त फिर बचा क्या है
ना मालूम कहाँ क्या है
आंखें मूंद कर जहाँ देखो
रब ने आखिर रचा क्या है !!

