STORYMIRROR

Rakshita Haripushpa

Romance

2  

Rakshita Haripushpa

Romance

सुनो प्रिये

सुनो प्रिये

1 min
327

ये तेरी याद ही तो है,

मैं छुपाये दिल में बैठी हूँ,

बिछड़ने का जो ये गम है,

बड़ी बेदर्दी से सहती हूँ।

मिलन की वो जो बेला थी,

बड़ी ही अल्पजीवी थी,

उस एक पल में तू मेरा था,

उस एक पल में मै तेरी थी।


तेरे उस रूप का सजदा,

मैं हर पल को तरसती हूँ,

तू क्षण भर लौट के आजा,

मैं उस दर पर ही बैठी हूँ,

ये मेरा ही खुदा तो है,

जो मुझसे ही यूँ रूठा है,

सज़ा-ए-गुस्ताखी में,

इसने मेरे दिलबर को लूटा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance