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Rakshita Haripushpa

Others

5.0  

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गुलज़ार-ए-मोहब्बत

गुलज़ार-ए-मोहब्बत

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चंद लफ़्ज़ों से जिसने मोहब्बत का पाठ पढ़ाया,

आज, जन्में उस महान हस्ती को करती हूँ प्रणाम।


धीरे धीरे ही सही जीवन में ये जो प्रेम रस आया,

उस रस को उजागर करने वाले को करती हूँ प्रणाम।


कोरे कागज़ पर जिसने स्याही से लफ्ज़ बयां करना सिखाया,

मैं उस लफ़्ज़ों के दाता को को करती हूं प्रणाम।


यूँ ही फिल्मी जगत में श्रृंगार का रसपान कराने वाले,

उस बगिया के गुल-ए-गुलज़ार को करती हूँ प्रणाम।


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