Bhoop Singh Bharti
Drama
जीवन में आनन्द को, लाते रीत रिवाज
नेग लोक व्यवहार के, हो सुंदर अंदाज।
हो सुंदर अंदाज, रंग खुशियों के भरते
शुभ अवसर पर खूब, नेग हाथों पर धरते।
कहे 'भारती' रीत, मस्ती लाये तन मन में
खुशी प्यार के रंग, नेग भरता जीवन में।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
फरिश्तों ने जिसका सजदा किया होगा.... वो कोई पीर रहा होगा. फरिश्तों ने जिसका सजदा किया होगा.... वो कोई पीर रहा होगा.
रह रह कर आईने में बूंदों की जगह झलक जाता है माँ रह रह कर आईने में बूंदों की जगह झलक जाता है माँ
नए आशिक हैं मिलते जो, तो फिर पुराने छूट जाते हैं। नए आशिक हैं मिलते जो, तो फिर पुराने छूट जाते हैं।
तो, फिर मिलने के इंतज़ार में ही जी रहे हैं हम। तो, फिर मिलने के इंतज़ार में ही जी रहे हैं हम।
हर नयी मुस्कान का मोती पिरोता है ये घर भी कुछ कहता है।। हर नयी मुस्कान का मोती पिरोता है ये घर भी कुछ कहता है।।
इन्हीं आड़ी-तिरछी लकीरों मेें, सिर्फ मिट रही हाथों की लकीरों में। इन्हीं आड़ी-तिरछी लकीरों मेें, सिर्फ मिट रही हाथों की लकीरों में।
चंडी बनो, काली बनो या फिर ज्वाला सब कुछ बदल कर रख दो। चंडी बनो, काली बनो या फिर ज्वाला सब कुछ बदल कर रख दो।
उस शाम चाय की प्याली थामे मैंने एक गीत सुना, व्याकुल मन उस धुन को सुनकर थिरक उठा, उस शाम चाय की प्याली थामे मैंने एक गीत सुना, व्याकुल मन उस धुन को सुनकर थिरक ...
इतनी बार मिले हैं हम-तुम कि मुलाक़ातें सब याद नहीं की हैं इतनी बातें हमने कि उनका इतनी बार मिले हैं हम-तुम कि मुलाक़ातें सब याद नहीं की हैं इतनी बातें हमने...
रंग बदलती दुनिया देखकर, गिरगिट भी नाराज है। रंग बदलती दुनिया देखकर, गिरगिट भी नाराज है।
बिखरेगी तू क्षणों में, छाँव जो आने वाली है, बिखरेगी तू क्षणों में, छाँव जो आने वाली है,
खाली सड़कों पर पशु-पक्षी घूमते हैं। शायद रोटी की तलाश में भटकते हैं।। खाली सड़कों पर पशु-पक्षी घूमते हैं। शायद रोटी की तलाश में भटकते हैं।।
बन्धु और बन्धुता जग में सबसे प्यारा और न्यारा है। बन्धु और बन्धुता जग में सबसे प्यारा और न्यारा है।
न अग्नि की तपन ये है न वायु का ये वेग है न अग्नि की तपन ये है न वायु का ये वेग है
कोसूँ खुद को, मृत्यु को तरसूँ पर प्राण नहीं लेता महाकाल। कोसूँ खुद को, मृत्यु को तरसूँ पर प्राण नहीं लेता महाकाल।
आंसुओं की लहरों के चपेटे में आ गया, और कमज़ोर हो गयी इसकी सतह, आंसुओं की लहरों के चपेटे में आ गया, और कमज़ोर हो गयी इसकी सतह,
अतृप्त इच्छाओं का पागल बवंडर समझा है जिसे तुमने पास आकर देखो अतृप्त इच्छाओं का पागल बवंडर समझा है जिसे तुमने पास आकर देखो
पीपल की एक एक शाख सा हर घर रहा इसी आस पर पीपल की एक एक शाख सा हर घर रहा इसी आस पर
काली स्याह रात में जब खिलते हैं रात के फूल। काली स्याह रात में जब खिलते हैं रात के फूल।
देखो ना फिर एक दूजे से बेशुमार प्यार करने लगे हम। देखो ना फिर एक दूजे से बेशुमार प्यार करने लगे हम।