सुन
सुन
सुन मेरे महबूब
मेरे महफ़ूज़ हाथों पर अपनी
हिना सजी हथेलियों को रख दे
महकी-महकी मैरूनी महंदी को
अपने गर्म लबों से चूमकर
अपनी जान से यह वादा कर लूँ ..
कसम मुझे है इस रंग की सोना
जतन करूँगा ताज़िंदगी
रंग हिना का फीका नहीं होने दूँगा
चाहत अपनी सींच सींच कर
जीवन तेरा खुशरंग रखूँगा..
महकी हिना से कह दो जानम
यूँही करतल पर सजी रहे
नाम को मेरे रोशन करते
तेरे हाथों पर सदा मुस्कुराती रहे..
महज़ रंग नहीं यह महंदी का
मेरे इश्क का मुझे प्रतिबिम्ब लगे
निखर आया जो रंग हिना का
तेरी लकीरों पर सजा मेरा भाग्य लगे।

