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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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सुकू मिले

सुकू मिले

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गर सुकूॅं मिले तो तन्हाई से राब्ता रखिए

गर नहीं मिल रहा है तो,

यूॅं न खुद को सबसे जुदा रखिए।


वो जो सबसे अच्छा यार है,

उसके घर चलिए,हाल चाल पूछिए

गले मिलिए।


अम्मा हर बार बोलती है,

बेटे दिवाली पर आजा,

लेकर काम से फुरसत

अब घर बेवजह चलिए।


पापा के लिए,चस्मा लाए,

लेकर आए नया मोबाइल।

पर कभी उनके पास बैठकर

हाल फिलहाल बीते दिनों का

 किस्सा सुनिए।


थोड़ा देख आइए

 अपनी पुरानी स्कूल को,

मिल आइए अपने,

शिल्पकारों (शिक्षकों) से

आज फुरसत में बैठकर,

कभी कॉलेज की,कभी यारों की

कभी गलियों,तो कभी खलिहानों की

यादों को सहेजकर

कोई किस्सा बुनिये।


गर सुकूँ मिले तो तन्हाई से राब्ता रखिए,

गर नहीं मिल रहा तो,

यूॅं न खुद को सबसे जुदा रखिए।


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