सत्य
सत्य
यह
सभी लोगों का
अफ़सोस है
की
सत्य
हर समय अपना
असली मुखड़ा
नहीं दिखा सकता
अधिकार और सच्चाई की बात
चिल्लाकर बोलने पर
कोई सुनता ही नहीं
अत्याचार के विरोध ने
हाथ ऊपर कर खड़े होने के समय
पैर उसके लड़खड़ाते है
असत्य और हिंसा एक साथ
सामने आने पर
वह पीछे हट जाते है
इतने पर भी
अंत में
सत्य की ही जीत होती है
हाँ, यह सत्य है
की
सत्य को सामने आने में
थोड़ा तो वक्त
लगता ही है
सच कभी
झूठ नहीं हो सकता है
सातों दरवाजे के भीतर
बंद कर रखने पर भी
उसकी चलने की पथ पर
काँटे बिछाने पर भी
सत्य को
रोक नहीं पाओगे
सुबह सूर्य की
नवकिरण की जैसी
लाली बिखेरते हुए
सत्य सामने आयेगा
और मनुष्यों के मन में
आनंद लाता है...!