Mohd Anwar Jamal Faiz
Inspirational
आडंबर में रची है दुनिया,
जिसको देखो उतनी रीत,
ईश मगर है किसका मीत,
स्वीकृत किसकी कितनी प्रीत ।
रोके सत्यशाला है तुमको,
झोंको ना ख़ुद को बलप्रीत,
ईश-मिलन जब मन निर्मल -
यही सत्य की प्रणय-पुनीत !
ये ज़वाल क्...
परम् सत्य निर...
सोज़ के सवाल
नव-ज्ञान
वो
सत्यशाला
सत्य की प्रणय...
ये दुनिया है साहब, न बदली थी और न ही कभी बदल पाएगी। ये दुनिया है साहब, न बदली थी और न ही कभी बदल पाएगी।
मरता सब है जिंदा भी मुर्दा भी। मरता सब है जिंदा भी मुर्दा भी।
आँखों से कुछ न दिखें,पर चेहरा पढ़ लेती है। पीड़ा में हो कितनी भी,पर पीड़ा समझ लेती है। आँखों से कुछ न दिखें,पर चेहरा पढ़ लेती है। पीड़ा में हो कितनी भी,पर पीड़ा समझ...
ये एकांत---- मेरे अकेलेपन का---- सच्चा साथी बन जाता है। ये एकांत---- मेरे अकेलेपन का---- सच्चा साथी बन जाता है।
जामुन का जूस बहुत कंजूस फायदा कम नुक्सान करे खूब। जामुन का जूस बहुत कंजूस फायदा कम नुक्सान करे खूब।
तभी तो खुद को भीड़ में भी अकेला समझता था। तभी तो खुद को भीड़ में भी अकेला समझता था।
कोई कुछ नहीं कहता जब तक बाप का साया रहता। कोई कुछ नहीं कहता जब तक बाप का साया रहता।
कुछ हँसे है कुछ हँसाये है कुछ रोये है कुछ रुलाये है। तूने ए जिंदगी कुछ हँसे है कुछ हँसाये है कुछ रोये है कुछ रुलाये है। तूने ए जिंदगी
समझाने के लिए और नहीं बाकी है। सब एक ही है, सब एक ही है। समझाने के लिए और नहीं बाकी है। सब एक ही है, सब एक ही है।
तुम्हीं कह दो ज़रा हमें कि, इससे बड़ी कोई है ख़ुशी ज़माने में! तुम्हीं कह दो ज़रा हमें कि, इससे बड़ी कोई है ख़ुशी ज़माने में!
आकाश में छोड़ दो एहसास जब होने लगे अपने पतंग के डोर को लटाई में लपेट लो ! आकाश में छोड़ दो एहसास जब होने लगे अपने पतंग के डोर को लटाई में लपेट लो !
जब धरा पर मेह बरसे, जान लो दिन ग्रीष्म बीते॥ जब धरा पर मेह बरसे, जान लो दिन ग्रीष्म बीते॥
मै दबी हुई कोई पहचान नही हूँ अपने स्वाभिमान से जीती हूँ। मै दबी हुई कोई पहचान नही हूँ अपने स्वाभिमान से जीती हूँ।
जिंदगी होती है दो पल की आज है कल नही। जिंदगी होती है दो पल की आज है कल नही।
तू करुणा का सागर है श्याम, तेरी कृपा मुझ पर बरसा देना, तू करुणा का सागर है श्याम, तेरी कृपा मुझ पर बरसा देना,
एक चाय पीना चाहती हूं। मैं कौन हूं, वो कभी नहीं भूलना चाहती हूं। एक चाय पीना चाहती हूं। मैं कौन हूं, वो कभी नहीं भूलना चाहती हूं।
आओ गपशप करें। आओ गपशप करें।
जितनी लम्बी यात्रा तय हम करते, उतने ज्यादा अनुभव को बाँटा करते। जितनी लम्बी यात्रा तय हम करते, उतने ज्यादा अनुभव को बाँटा करते।
अपनी बेटी की दोस्त हूं, अपनी पति की सारी दुनियां हूं ...., हां में ऐसे ही हूं .....। अपनी बेटी की दोस्त हूं, अपनी पति की सारी दुनियां हूं ...., हां में ऐसे ही ...
कर सकते हो अपने अरमान तुम पुरे अधूरे मक़सद - ए - ज़िन्दगी कबूल क्यों है ? कर सकते हो अपने अरमान तुम पुरे अधूरे मक़सद - ए - ज़िन्दगी कबूल क्यों है ?