नव-ज्ञान
नव-ज्ञान
जीवन की मधुता है इसमें -
दुख में भी मस्ती का गान;
रोगी जैसा ना कर जीवन,
मुखर प्रकृति से क्यूँ अंजान?
जीवन है, पढ़ हर वेद -
ऋषि मुनियों का ये ज्ञान;
नव-ज्ञान खोजे जो प्रति-छण,
बढ़ती रहती उसकी शान ।
