ये ज़वाल क्यूं
ये ज़वाल क्यूं
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पूछे दिल मेरा ये ज़वाल क्यूं
दूं मैं खुद से उसको निकाल क्यूं
है दिल की फिर वो ही जुस्तुजू
न हो दिल का फिर वो हाल क्यूं
तू जो खुद नहीं माँ बाप का
होगा फिर तेरा ऐतफ़ाल क्यूं
मैने बस सुनाई थी दास्तान
तेरे अश्क़ हैं इतने बेहाल क्यूं
यूं करता तो है मगर पूछे दिल
मैं करूं यूँ तेरा अब ख़याल क्यूं
बड़ी हैरत रक़ीबों को है ‘बरबर’
पामाल दिल सोज़ बहाल क्यूं।
