सत्य और अहिंसा
सत्य और अहिंसा
सत्य वो सूरज है
जिसके होने का सबूत देना पड़ता है
दिखता है सबको पर
किसी को वो महसूस नहीं होता है
घर घर में हिंसा है
शांति का पाठ कौन पढ़ाएगा
बहूएं जलती है, तो कहीं बलात्कार है
यह कौन सी अहिंसा है
जो चहुँ ओर फैली है
सत्य और अहिंसा
अब सिर्फ किताबों के पाठ है
बड़े जब सब भूल गए हैं
बच्चों को कौन सिखाएगा
सत्य और अहिंसा के नारों से
कुछ भला नहीं हो पाएगा।
