Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ratna Kaul Bhardwaj

Abstract

4.4  

Ratna Kaul Bhardwaj

Abstract

सृष्टि मलहम लगाएगी ज़रूर

सृष्टि मलहम लगाएगी ज़रूर

2 mins
650


माना कि ज़िन्दगी थोड़ी थम सी गई है ज़रूर 

पर थोड़ा थोड़ा अब सहमने लगा है इंसानी गरूर  


रो रही थी मुँह छुपाकर इंसानियत ज़ार ज़ार 

न जाने किस बात पर था इंसान इतना मगरूर 


हर शख्स बदलता रहा फितरत हर कदम पर यहाँ 

दुनिया बनाने वाले को यूं बेहद कर दिया मजबूर 


देश, धर्म, चकाचौंध ताकत , पैसा , नफरत 

बस यहीं थे सारे जनून, और यहीं सारे बने कसूर 


सच से सब किनारा करते गए , और लूटते गए 

झूठ फरेबी में न जाने क्यों पा गए थे सब सरूर 


सिसकती रही सृष्टि, बेचैन था सारा माहौल 

सर चढ़ा था इंसान के कुछ अलग सा ही फितूर 


सृष्टि झेल लेती कब तक इतने सारे नश्तर 

इंसान का हर कदम जब था बड़ा ही क्रूर 


न कभी इंसान ने किया आदर इस सृष्टि का

जब सृष्टि देती आयी थी सदियों से भरपूर 


अब सृष्टि का दिल दहल गया,वापस किया प्रहार  

और कर दिया इंसान को इंसान से ही दूर 


घुटन, सूनापन ,अँधेरा छाया है चारों ओर

मंज़र भय का छाया है ,सपने हो गए हैं चूर चूर 


एक संक्रमण बेदर्द अवतार कलयुगी लेकर आया 

विश्व में मचा दी उथल पुथल, समय है बड़ा ही क्रूर 


विश्व में आज न है कोई बड़ा ना ही कोई छोटा 

हर तरफ है अफरा तफरी , हर कोई बेहद मजबूर 


गैर का नहीं इंसानी फितरत का गर यह नतीजा है  

गेहूं के साथ घुन भी पिस्ता है,कहावत है यह भी मशहूर 


सृष्टि खफा है पर इंसान भी है इसका अटूट अंग 

बेबस है अब हर शख्स यहाँ ,सृष्टि मलहम लगाएगी ज़रूर 


शायद कुछ लोग अभी तक ज़मीर से ज़िंदा हैं

दुवाएँ होंगी उनकी कबूल ,ऊपरवाला सोचेगा ज़रूर 

 

ए इंसान अब ना अपना मन ना ही माहौल दूषित करना 

इस दौर को खूब समझ लेना , देना प्यार सृष्टि को भरपूर 


वापस लोग गले मिलेंगे , फिर से चहल पहल लौटेगी 

दुआओं मैं उन्हें याद करना , जिन्हें संक्रमण ले गया हम से दूर । 


 

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract