Mahesh V Brahmankar
Tragedy Crime Thriller
ऊन मंजिलों में सरकार कहा !
जहा कोई किसी की सुनता नहीं !
दिन मे अंधेरा छा गया !
क्योंकि सरकार की आँखें ही बंद कर दी गई !
फार्मा टुर्ना...
लोरी
रेल गाडी
सरकार
वक्त
ट्रेकिंग
माधुरी
मित्र
वैलेंटाइन डे ...
जिंदगी एक संघ...
लो अग्नि संस्कार किया स्त्री विमर्श में अपने हाथों से लिखें पृष्ठों का। लो अग्नि संस्कार किया स्त्री विमर्श में अपने हाथों से लिखें पृष्ठों का।
वो सुबह कुछ अलग सी थी कुछ धुआं रेत बारीक सी थी। वो सुबह कुछ अलग सी थी कुछ धुआं रेत बारीक सी थी।
कुछ टूट रहा था, कुछ छूट रहा था, लेखन से नाता टूट रहा था। कुछ टूट रहा था, कुछ छूट रहा था, लेखन से नाता टूट रहा था।
राजनीति सुविधा हुई ,बनी आज व्यवसाय। मीठा-मीठा गप्प सब, कड़वा थूकत भाय।1। राजनीति सुविधा हुई ,बनी आज व्यवसाय। मीठा-मीठा गप्प सब, कड़वा थूकत भाय।1।
गाँव की गलियों से जब जब गुजरा हूँ मैं पथ की बेरियों को उकेरा है मैंने। गाँव की गलियों से जब जब गुजरा हूँ मैं पथ की बेरियों को उकेरा है मैंने।
मैं तो एक वैश्या हूं, और वैश्या ही कहलाऊंगी जिस्म बेचकर ही, खुद को जिन्दा रख पाऊंगी। मैं तो एक वैश्या हूं, और वैश्या ही कहलाऊंगी जिस्म बेचकर ही, खुद को जिन्दा रख ...
अपना पट शीघ्र न खोलूँगी कुछ मुझको तो मनाये वो अपना पट शीघ्र न खोलूँगी कुछ मुझको तो मनाये वो
जिंदगी में भरी निराशाओं में एक नई आशा का उजाला दिखा तो था। जिंदगी में भरी निराशाओं में एक नई आशा का उजाला दिखा तो था।
सात दिनों के सात रंग में रंगी हुई इसकी प्रेम कहानी है। सात दिनों के सात रंग में रंगी हुई इसकी प्रेम कहानी है।
'जीवधारी देश', ख़ुद को मानते हैं राज, सत्ता सब बदलना चाहते हैं। 'जीवधारी देश', ख़ुद को मानते हैं राज, सत्ता सब बदलना चाहते हैं।
अब स्वतंत्र है वो तो पराश्रित मैं भी नहीं इस अर्थहीन पानी का अर्थ कुछ भी नहीं। अब स्वतंत्र है वो तो पराश्रित मैं भी नहीं इस अर्थहीन पानी का अर्थ कुछ भी नहीं...
दूर कहीं दिख रहा था एक अस्थि पिंजर, जिस पर रह गया था बस मॉंस चिपक कर। दूर कहीं दिख रहा था एक अस्थि पिंजर, जिस पर रह गया था बस मॉंस चिपक कर।
और कर रहे हैं शर्मिंदा सच को, झूठ के झुंड में। और कर रहे हैं शर्मिंदा सच को, झूठ के झुंड में।
पराई भाषा को दिया मान,, अपनी भाषा को माना कूड़ेदान। पराई भाषा को दिया मान,, अपनी भाषा को माना कूड़ेदान।
जीवन इतना सरल नहीं जीवन इतना सरल नहीं
मेरे हिंदू मुस्लिम बच्चों को आपस में लड़ाया जाता है मेरे हिंदू मुस्लिम बच्चों को आपस में लड़ाया जाता है
टूट गई मन की गागरिया टुकड़े झोली भरती। रंगहीन ले...य़ टूट गई मन की गागरिया टुकड़े झोली भरती। रंगहीन ले...य़
आज फिर तेरे तसव्वुर ने नींद को इन आँखों से रूख़्स्त किया है। आज फिर तेरे तसव्वुर ने नींद को इन आँखों से रूख़्स्त किया है।
आखिर क्यों लाखों परिवार न्याय से वंचित रह जाते है। आखिर क्यों लाखों परिवार न्याय से वंचित रह जाते है।
किन्तु, ख़ुद ख़त्म होने से पहले ही, पहुँच में उसके दूसरी कुर्सी। किन्तु, ख़ुद ख़त्म होने से पहले ही, पहुँच में उसके दूसरी कुर्सी।