STORYMIRROR

Satish Chandra Pandey

Inspirational

4  

Satish Chandra Pandey

Inspirational

सरहद के रक्षक फौलादी

सरहद के रक्षक फौलादी

1 min
187

डटे हुए हैं सीमा में वे, रोक रहे हैं दुश्मन को,

चढ़ा रहे हैं लहू- श्रमजल, मिटा रहे हैं दुश्मन को।

ठंडक हो बरसात लगी हो, चाहे गर्मी की ऋतु हो,

सरहद के रक्षक फौलादी, रौंध रहे हैं दुश्मन को।

भारत माता की रक्षा पर, तत्पर शीश चढ़ाने को,

निडर खड़े हैं रक्षक बनकर, रौंध रहे हैं दुश्मन को।

आज उन्हें जय हिंद लिख रही, अक्षरजननी यह कवि की,

जो सीमा पर डटे हुए हैं, रोक रहे हैं दुश्मन को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational