सर्द रातों
सर्द रातों
वो सर्द रातें और चाय तुम है याद है
जो तुम बनाकर ले आया करती थी
और मेरी बाहों में बाहें डालकर दोनों चाय पीते
पीते एक दूसरे की आंखों में खो जाया करते थे।
वो प्यार था या कुछ और
मैं उस दिन नासमझ था और आज भी
और तुम उस दिन भी चुप थी और आज भी।
फिर भी में आज तुम्हारी उस यादों के सहारे जिंदा हूं
आज भी जवाब का इंतज़ार कर रहा हूं।

