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Nishima Bansal

Fantasy

4  

Nishima Bansal

Fantasy

सफ़र

सफ़र

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हसीन सा वो सफर,

मुझे अपना दीवाना बना दिया गया।

कहीं पेड़ तो कहीं नदी

ख़ूबसूरती का असली मतलब समझ में आ गया।


जैसा जैसा वो आगे बढ़ा,

आपने प्यार मुझे और डुबाता चला गया।

नदी की वो लहर,

आपने साथ-साथ मेरे दुख को भी बहाती चली गई।


सोचना तो बहुत होता था,

पर मेरी उस सोच को और

साकारात्मक बनाता चला गया, वो सफर

आख़िर...वो सफ़र, चला ही गया !

ज़रूर आऊँगा मैं, कहकर चला ही गया !


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