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रिपुदमन झा "पिनाकी"

Romance Inspirational

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रिपुदमन झा "पिनाकी"

Romance Inspirational

सफ़र आसान तुम संग

सफ़र आसान तुम संग

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चल रहे थे अकेले

सुनसान पथरीली राहों पर

न साथी न साया

अपने न पराए

न पता मंज़िल का

और न रास्ता कोई

जीवन के थपेड़ों से बचता बचाता

आंधियों से टकराता

मृग मरीचिका में भटकता फिर रहा था


राहे सफ़र में

तलाश थी हमसफ़र की

जो चले साथ ज़िन्दगी के सफ़र में

हाथों में ले हाथ

कंधे से कंधा मिलाकर

अंधेरी राहों में रौशनी बनकर


तुम आए ज़िन्दगी में

तो ये सोचने लगा

तुम ही तो हो वो सितारा

जो दिखाएगा मुझे रास्ता

ले जाएगी मुझे मेरी मंज़िल तक

तुम ही मेरी हमसफ़र हो

तुम ही मेरा सफ़र हो

हम-कदम बन के जो चले साथ तुम

तो सफ़र आसान हो गया।

जीवन को नई दिशा

नई राह मिल गई।



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