सफलता
सफलता
निशा की सरिता को पार कर के देखो दिनकरआता है,
नभ में प्रकाश भर वो एक नई आशा जागता है
चुनौतियां पार करो तुम भी, जो तुम्हें थमाता है
अब उठो, लड़ो अपने अंदर के तमस से,
चलो अपने सपनों के सागर से मिलन के पथ पे
वो देखो तुम्हारे तप के पसीने की बूंद में तुम्हारा
नया भविष्य जगमगाता है
ये नए दिन का नया सूरज तुम्हे आगे बढ़ने को उकसाता है
हौसला भर कर अपनी चाहों में
भर लो सारा आकाश अपनी बाहों में
कोई पाषाण भी गर पड़ा हो तेरी राहों में
उछालो यूं उसे की सुराख हो जाए आसमानों में
चुनौतियां जितनी भी आए,उन्हें टूटना ही होगा
सफलता के ताज को तुम्हारे मस्तक पर सजना ही होगा
अंधेरा कितना भी घना क्यों ना हो,उसे प्रकाश को पथ देना ही होगा।