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Kusum Joshi

Abstract

3  

Kusum Joshi

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सफलता की तपस्या

सफलता की तपस्या

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धैर्य धारण कर सखी,

ऐसा समय भी आएगा,

जो तुम्हारे स्वप्न सारे,

पूर्ण करके जाएगा,


तुमको भी मिल जाएंगी,

मंज़िल जिन्हें तुम ढूंढते,

जज़्बा तेरा मस्तक पे तेरे,

सफलता लिख जाएगा,


तैयार बस रखना कि ख़ुद को,

उस एक अवसर के लिए,

जो तुम्हें संसार में,

नई पहचान देने आएगा,


ना ही डरना ना भटकना,

राह हो लंबी अगर,

चलते ही रहना मार्ग में,

गंतव्य भी मिल जाएगा,


ये एक तपस्या है कि इसमें ,

आहुति भी चाहिए,

एकाग्रता के साथ इसमें,

त्याग मांगा जाएगा,


मांगे जाएंगे वो पल सुखद,

जिनमें कभी तुम झूमते थे,

गीत गाते थे मगन हो,

मस्त जीवन घूमते थे,


त्यागनी तुमको पड़ेंगी,

वो यादें पुरानी और गली,

बीते जहाँ कई वर्ष मन को,

नित्य ही खुशियां मिली,


कल पुराना छोड़कर ही,

नव दिवस तब आएगा,

चांद तारे जब लुप्त होंगे,

भानु स्वर्णिम छाएगा,


स्वप्न जिस दिन पूर्ण होगा,

दर्द सब खो जाएंगे,

उस एक खुशी के सामने,

ये याद बस बन जाएंगे।


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