STORYMIRROR

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Inspirational Others

4  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Inspirational Others

सफलता का सत्य

सफलता का सत्य

2 mins
8

🌿 सफलता का सत्य 🌿
✍️ श्री हरि
🗓️ 25.8.2025

सफलता वह नहीं,
जो भोग की सीढ़ियों पर चढ़कर शिखर पर बैठ जाए;
न ही वह,
जो स्वर्ण-रजत के अंबर पर अपना नाम लिख दे।

सफलता का स्वरूप शाश्वत है—
उसकी जड़ें करुणा में हैं,
उसकी शाखाएँ सेवा में,
और उसके पुष्प—परहित के आनंद में।

“परहित सरिस धर्म नहिं भाई!”
यह संतवाणी केवल पद्य नहीं,
जीवन का शाश्वत मार्गदर्शन है।
जिस हृदय ने दूसरों की पीड़ा को
अपना बना लिया,
वही सच्चे धर्म का उपासक है।

गीता कहती है—
कर्म करो, पर फलासक्ति त्याग दो।
कर्म का मर्म यही है—
कि श्रम की हर बूँद
किसी और के सुख में परिणत हो;
प्रयास का प्रत्येक क्षण
किसी और के जीवन में
प्रसन्नता का दीप बनकर जले।

सफल वही है—
जिसे पाने की तृष्णा नहीं,
बल्कि देने में ही संतोष है।
जो जानता है—
स्वयं के लिए जीना बंधन है,
और जगत के लिए जीना मोक्ष।

वह तपस्वी है,
जो आँसुओं को मुस्कान में बदल दे।
वह योगी है,
जो हर कर्म को लोककल्याण का यज्ञ बना दे।
यही है कर्मयोग, यही आत्मयोग,
यही जीवन का परम सौंदर्य।

🌸 हे मानव!
यश यदि चाहिए तो सेवा में खोजो,
धन यदि चाहिए तो दान में खोजो,
सौंदर्य यदि चाहिए तो करुणा में खोजो,
और मोक्ष यदि चाहिए तो
सभी प्राणियों की प्रसन्नता में खोजो।

सफलता का शिखर वही है—
जहाँ स्व लुप्त हो जाता है,
और शेष रह जाता है
केवल परहित।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics