सफलता जीवन की
सफलता जीवन की


क्या है सफलता जीवन की,क्या हमने पहचाना है।
भौतिकता की जीत को ही,सफलता क्यो हमने माना है।।
हार गए खुद से हम,जब जब मनोकूल कुछ न मिला।
प्रसन्नता का पुष्प,तब तब कैसे और क्यो मुरुझा गया।।
सफलता तो यह जीवन की,खुद को जो तू जीत गया।
चाहे हिला किला कोई भी,कभी न तुझे हिला सका।।
कैसी सफलता रे मानव तूने,अपनी आज सजाई है।
खुद से ही दूरी बना,चंद कागजो से दोस्ती बनाई है।।
आज जरा एक पल रूककर, सफलता ऐसी पानी है।
अवगुणों को जीत,खुद से दोस्ती अब निभानी है।।