सोन चिरैया
सोन चिरैया
सिखाया पाठ जो, शहादत का हम सबको
कारगिल पर बिखरे लहू को दिखाया सबको,
पग पग पर फैले फूलों जैसे बारूदों से
कुर्बानी देकर आजाद करवाया हमको
धागे से बंधी, एक डोरी हम देशवासी,
रंग अनेक, रूप अनेक होते हम वासी,
काटो तो खून एक हमारा,हर मुश्किल,
का सामना डटके करते हम देशवासी।।
माना, कुछ है कमी हम में, बलात्कारी,
भ्रष्टाचारी,ना जाने कितने रूप छिपे हममें,
दिन ऐसा आएगा स्वच्छ और आजाद भारत,
काली परछाई और कॉरोनों को मार गिराएगा।।
आयेगा आयेगा एक दिन ऐसा आएगा
आत्म निर्भर बन कर भारत सच्ची भक्ति निभाएगा
बहे खून कुर्बानी के उनका कर्ज उतारेगा
देर सही भली देर एक दिन फिर सोनचिरैया कह लाएगा।।