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SIMRANJIT KAUR

Abstract

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SIMRANJIT KAUR

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मेरे देश की धरती

मेरे देश की धरती

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मेरे देश की धरती 

अनेक रंगों में भीगी।

कुदरत की यहाँ महिमा अनोखी 

पेड़-पौधे, यहाँ के अनोखे,

पशु-पक्षी, यहाँ के निराले-प्यारे।

अनेेक रंगों में भीगी 

है मेरे देश की धरती।


मेंरे देश की धरती 

है बड़ी अनोखी 

हिन्दु, मुुुस्लिम, सिख, ईसाई,

हर धर्म, हर जाति

के लोग यहाँ बसते हैं 

एक परिवार की तरह सब रहतेे हैं।

है बड़ी अनोखी 

मेरे देश की धरती।


मेरे देश की धरती 

है हज़ारों नदियों का घर।

दुनिया की सबसे,

पवित्र नदी।

यहाँ बहती है 

गंगा नदी हमारी शान है।

गंगा, यमुना, सरस्वती और कावेरी,

है हज़ारों नदियों का घर 

मेरे देश की धरती।


मेरे देश की धरती 

है खिलाड़ियों की भूमि।

ध्यानचंद, पी.वी. सिन्धु,

सचिन तेंदुलकर, मिल्खा सिंह।

जिन्होंने तिरंगा है सबसेे 

ऊँचा फहराया।

ऐसे खिलाड़़ियों की भूमि 

है मेरे देश की धरती।


मेरे देश की धरती 

है वीर नर-नारियों की भूमि।

भगत सिंह, झांसी की रानी,

जिन्होंने लगाई जान की बाजी,

और बचाई मातृभूमि।

ऐसे वीर नर-नारियों की भूमि 

है मेरे देश की धरती।


मेरे देश की धरती 

की कलाा और संस्कृति है अनोखी।

साहित्य कला हो 

चाहे नृत्य कला हो 

सवाल चाहे कलाकारी का हो।

हर जगह हमने 

अपने देश का तिरंगा

फहराया है।

हर क्षेत्र में हमने 

अपने देश का 

मान बढ़ाया है।

संस्कृति ऐसी 

जिसने सबके होश 

उड़़ाए हैं 

दिखा अपनी खुबसूरती।

कला और संस्कृति है अनोखी 

मेरे देश की धरती की।


मेरे देश की धरती 

को है मेरा सलाम 

जितना कहूँ

उतना है कम 

मेरे देश की धरती। 


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