लेखन
लेखन
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मैं कवियित्री नहीं हूं,
आत्मा कवियित्री है
मैं लेखिका हूं
जो लिखने का कार्य करती हूं
अपनी आत्मा के द्वारा,
उसकी आवाज और मेरा लेखन
दोनो ही एक पहचान बनाते है,
मैं लिखना भूल जाती हूं,
वो मुझे याद दिला देती है,
वो दिन भर कविता कहे जाती है
मैं सुनती जाती हुं,
जब लिखने बैठु तो वो अब मुकर
जाती है।