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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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दवा और दुआ

दवा और दुआ

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कभी दवा से ज्यादा दुआ असर कर जाती है,

जिंदगी में वह जिंदगी की राह बता जाती है।


जब कभी दर्द असहनीय होकर रुलाने लगे,

उस समय दुआ खूबसूरत रंग दिखाती है।


उम्मीदें थकने लगें दवा जब नाकाफी लगे,

जादुई करिश्मे से दुआ चकित कर जाती है।


दर्द में दवा और दुआ दोनों ही जरूरी लगें,

न जाने कौन खुशियों के फूल खिलाती है।


अपने कर्मों का कुछ हिसाब ऐसा रखो,

हर जुबान पर तेरे लिए दुआ चढ़ जाती है।


ईश्वर से सदा ही प्रार्थना किया है मैंने,

हर लफ्ज़ दूसरों की दुआ बन जाती है।


सलामत रहे सदा ही दवा और दुआओं से,

यही प्रार्थना मेरे जुबान पर सदा आती है।



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