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Saini Nileshkumar

Romance

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Saini Nileshkumar

Romance

सोलह की उम्र की मुलाक़ात

सोलह की उम्र की मुलाक़ात

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जान पहचान तो हमारी बचपन से ही थी 

पर सोलह  की उमर की वो मुलाक़ात अजनबी सी थी 

बात कैसे करें पता ही नहीं था 

मौसम ही कुछ ऐसा बेगाना सा जो था

पर उसने बात ढूंढ ही निकाली 

कहाँ खाली पड़े कान बता रहे हैं,

सादगी ज्यादा पसंद है 

कुछ इस तरह से फिर उसने मेरी सादगी को दोहराया था 

कहाँ होंठ पे ना लाली है, ना आंख मे काजल, चेहरे पे बस प्यारी सी मुस्कान है जो  होंठ के ऊपर के तिल ने और खूबसूरत बनायी  है, 

ज़ुल्फ़े बँधी हुई हैं, और थोड़ी लटे बिखरी है, मेरे सामने एक सादगी की मूरत खड़ी है 

ये पेहली दफा था जब किसी ने मुझे सादगी से सजाया था 

और उसकी इसी सादगी ने मुझे उससे फिर मिलवाया था

जान पहचान होते हुऐ भी मे  मुझे समझने वाले एक फरिशते से मिली थी 

वो सोलह साल की मुलाक़ात  मेरी सादगी से जो भरी थी। 



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