सोच
सोच
कुरुपता में रुपता,
भी होती है कहीं,
तुमको बस सोचना,
है देखना कहाँ।
दिल में हो दर्द,
तो दर्द ही सही,
खुशी के मौके भी,
बस होते हैं यहीं।
कभी न सोचना ये,
तुम कि पीछे हो यहाँ,
सोचना यही कि,
तुमको जाना है कहाँ।
चलोगे आगे तुम,
तो बढ़ोगे यहाँ,
करना है वो,
कर सोचना है क्या।