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Agnima Singh

Drama

0.6  

Agnima Singh

Drama

कुछ हसीन लम्हे

कुछ हसीन लम्हे

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कुछ हसीन लम्हों में,

जिन्दगी गुज़र जाएगी,

कुछ संगीन लम्हों में,

जिन्दगी बिखर जाएगी।


संवार लो इसे अभी,

ये फिर फिसल जाएगी।


खुशियों से है,

इसका दामन बड़ा,

बिना मुस्कुराहट,

न चलना यहाँ।


चलने से ही है,

यह सफर बना,

रुकने से न कभी,

यह सफर कटा।


हासिल हुई मंजिल,

जब बढ़ते गए,

चलने से फिर,

क्यों हम डरते रहे।


अब तो सफर है,

ये मंजिल मेरी,

गिरने से भी अब,

न रुकेंगे कभी।


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