संघर्ष भरे दिन...!
संघर्ष भरे दिन...!
याद है वो छोटा सा एक घर
जिसमें खुशियां सदा मुस्काती थी,
उम्मीदें पलकों में चुपके से आकर
सपनों को रोज हमारे जगाती थी।
दिन भर करते थे हम मेहनत
रातें पढ़ाई में कट जाती थी,
कभी खाली पेट भी जागते हम
कभी रात आंखों में गुजर जाती थी।
परिवार की जिम्मेदारी कांधों पे लिए
पर हौसले पर्वत से हमारे ऊंचे थे,
दुःख तकलीफ लाख सही हमने
हम मेहनत से किस्मत को बोते थे।
हम खाली जेब हाथों में लिए घूमते
रोते थे हम अक्सर कई रात,
आंखों में रख फिर जलती उम्मीदें
हम थाम लेते थे अपने जज्बात।
पैरों में टूटी हमारी चप्पल होती
पर दिल में हमारे उबाल था,
पथरीली राहों पर चलकर ही हमने
करना एक दिन धमाल था।
पसीने की बूंदे कहती हमसे
मंजिल तक बढ़ते जाना है,
हौसलों की लौ जलाए रखना
अभी तो दुनियां को दिखलाना है।
आज जो चेहरे पर मुस्कान हमारे
वो रातों को नींद गंवा कर पाई है,
हर ठोकर से सीखा हमने
गिर गिरकर हमने ये राह बनाई है।
सीख यही अंधेरा जितना गहरा हो
कल भविष्य उसका सुनहरा होगा,
जो मेहनत करेगा दिल से अपने
दिन उसका ही कल बेहतर होगा।
