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Praveen Gola

Romance

4  

Praveen Gola

Romance

संदेश आया

संदेश आया

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जब तेरी दीवानगी का ,
संदेश आया  ,
फिर कोई बहाना  ,
ना हमने बनाया |

रातों को जाग के  ,
तेरा साथ निभाया ,
प्यार का प्यार से ,
रिश्ता निभाया |

आग तन में मेरे ,
भी ऐसी लगीं थी ,
लाख कोशिशों से ,
जो बुझ ना सकी थी |

तूने आके उसको ,
था और भड़काया ,
जाड़े के मौसम में ,
पसीना था आया |

दोनो की हालत ,
ऐसी बुरी थी  ,
होठों से होठों की ,
प्यास ना बुझी थी |

धीरे - धीरे तन से ,
था कपड़ा हटाया ,
मदहोशी को था ,
गले से लगाया |

इधर साँसे रुक - रुक के ,
आगे बढ़ीं थी ,
उधर तेरे ज़िस्म की ,
गर्मी चढ़ी थी  |

पलकों को मूंद तुझे  ,
सपनों में पाया  ,
होने दिया सब वो ,
जिसमे संसार पाया  |

जब तेरी दीवानगी का ,
संदेश आया  ,
फिर कोई बहाना  ,
ना हमने बनाया ||





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