समय का फ़ेर
समय का फ़ेर
वो भी था इक ज़माना
छत पर गेहूँ का सुखाना
और चिप्स -पापड़
बना, महफ़िल ज़माना
अब किट्टी की पार्टियां
होतीं तो ज़रूर हैं पर
यहां ना मजे का कोई ठिकाना
बस अपना -अपना होता है वैभव दिखाना
छुट्टियाँ मतलब बच्चों का दादी - नानी के घर जाना, पर
आज़ छुट्टी मतलब अक़ेले- अक़ेले विदेश भ्रमण और
सामाजिक मीडिया पर स्टेट्स जम कर दिखाना
वो भी था एक़ ज़माना
जब बच्चों का शाम को गिल्ली डंडा या हो चोर पुलिस
में मशगूल हो जाना
पर आज़ तो मोबाइल पर गेम खेलना
और मोबाइल देखकर ही खाना खाना
पहले क़भी घर पर अतिथियों का आना
मानो जैसे त्योहार हो मानना
पर अब ना होता है अतिथि का आना- जाना
क्यूंकी आज़ आ गया
विडीओ कॉल का जमाना
पाठशाला में बैठ एक दूसरे का साथ निभाना
पर अब तो है लैप टॉप का जमाना
और चशमों कि बैसाखी से
कंप्यूटर पर एवम् मोबाइल पर
समय को बीताना
पहले माँ के हाथ से खाने का था जमाना पर
देखो न-अब तो चम्मच से ही है खाना, खाना
इसे वक़्क़त का तक़ाज़ा कहें या कहें
समय का फ़ेर
आदमी - आदमीं पर क़म
रोबॉट पर भरोसा कर बैठा ज़माना!
