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Alok Yadav

Drama

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Alok Yadav

Drama

स्मृतियों ने साथ न छोड़ा

स्मृतियों ने साथ न छोड़ा

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स्मृतियों ने साथ न छोड़ा

मनबसियों ने साथ न छोड़ा


धुंधले हुए चित्र बचपन के

कौन सुनाए परीकथाएं

ऐसी नींद नहीं आती अब

जिनमें फिर वो सपने आएं


पर सपनों में जो आती थीं

उन परियों ने साथ न छोड़ा


जीवन की आपाधापी में

जाने कितने साथी छूटे

जग में मनभावन उपवन के

छूटे कितने ही गुल बूटे


जिनकी गंध बसी थी मन में

उन कलियों ने साथ न छोड़ा


यायावर हम निपट अभागे

रह पाए किस घर के हो के

चौखट ऐसी कोई नहीं थी

कर मनुहार हमें जो रोके


जहां चले थे हम तुम दोनों

उन गलियों ने साथ न छोड़ा !




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