स्मृतियां
स्मृतियां
सुना है
स्मृतियों के धुंधलके में छिप
जाती हैं सभी संवेदनाएं
वो सभी बातें, वो सभी यादें
जो जी ली जाती हैं कभी एक पल में
तो कभी कई लंबी लम्हों तक
सुना है
अतीत का घना कोहरा भी
झुलसा देता है वर्तमान को
देकर कई जख्म बस दर्द रिसता रहता है
जो बीत जाता है
कभी एक पल में
तो कभी सदियों तक
सुना है
कई बार कुछ बातें अंतस को भी
चूर चूर कर जाती है
जब ठेस मिलती है अपनों से ही
सब कुछ अपना समझने का भ्रम
और टूट जाता है सब कुछ
उसी पल में
या धीरे धीरे कई सहमी रातों में