उसकी कोशिशें
उसकी कोशिशें
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नहीं चाहती वो
उसके बच्चे, उसका आने वाला कल
यूं ही बिता दे ये जिंदगी
यूं ही घुट घुट कर
सांस लेती रहें जिंदगी
नहीं चाहती वो
कि उन बच्चों के भी सपने टूट जाएं उसी की तरह
और वो भी ना हो जाएं बेबस जिंदगी यूं ही बिताने को
नहीं चाहती कि उनके भी हर अरमान
सिसक कर रह जाएं
और जिएं एक गुमनाम की तरह
इसीलिए वो आंसू अपने जब्त कर लेती है खुद में
दर्द के अथाह समंदर में डुबो देती है खुद को
सुनकर कितने भी कड़वी बातें
बस अपने बच्चों के लिए
करती है वो काम
बस उनके हर सपनों को पूरा करने को
वो मां बस भूल जाती है खुद को भी।