भटकते रहे हम उम्मिदों में अब तक, रही आरजु की सदा गश्त अब तो। भटकते रहे हम उम्मिदों में अब तक, रही आरजु की सदा गश्त अब तो।
सबकुछ सुधारने की काबिलीयत रखते हुए भी… बेबसी जाहिर कर स्थिति के यथावत चलते देने का भा सबकुछ सुधारने की काबिलीयत रखते हुए भी… बेबसी जाहिर कर स्थिति के यथावत चलते द...