समझे हम नहीं
समझे हम नहीं
जो मैंने न कहा,
तो समझे तुम भी नहीं ।
कदम न मेरे बढ़े,
तो चले तुम भी नहीं।
जो इज़हार- ए - दिल हम से न हुआ,
तो तुम ही कर देते बयां।
वक्त की इस नज़ाकत को,
समझे हम नहीं
और
समझे तुम नहीं .........।

