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DMLT Natasha Kushwaha

Fantasy

4  

DMLT Natasha Kushwaha

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समाज की स्वीकृति

समाज की स्वीकृति

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जन सामान्य कहते है, की मैं घमंडी हूं,

घमंड में चूर हूं, थोड़ी नहीं भरपूर हूं,

हां मुझे गर्व है खुद पे, और अपने खुदा पे,

जिसने मुझे पनाह दी, इस सकल जहां में,

सांस लेना सिखाया, खुले आसमान में,

सत रंगो का भान है, और नहीं हम इंसान है,

कर्मठ हूं मैं और हमें, अपने कर्म का ज्ञान है,

भारत मां की संतान मैं, मातृभूमि मेरी जान है,

स्वतंत्र उन्मुक्त राष्ट्र मिला, मन सुमन सा खिला,

आजाद हिन्द फौज सी, स्वयं भाव मौज सी,

स्वीकृति मिली जीने की, जल अमृत पीने की,

खुश दिल मेरा हाल है, मौलिक मेरी चाल है,

स्वतंत्र मेरी आवाज़ है, अडोल विश्वास है,

प्रेम और मुस्कान है, मेरा देश महान है,

भारतीयता पहचान है, भारत मां मेरी जान है,

नीति, नताशा मेरा नाम है, देश हिंदुस्तान है ।



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