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DMLT Natasha Kushwaha

Abstract

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DMLT Natasha Kushwaha

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मेरी कलम

मेरी कलम

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कलम की ताकत बयां की जाए तो कैसे

डूबते हुए को तिनके की हो एहमियत जैसे

भान हुआ ही नहीं था ना काम आए पैसे

नाऊम्मीद को उम्मीद का दीपक दिखा जैसे

बहुत सी बातें कलम लिखती गई कैसे

समंदर के तूफान को नौका ने चीरा हो जैसे।



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