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अजय गुप्ता

Abstract Others

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अजय गुप्ता

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समाधान

समाधान

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तुम्हारा युद्ध कौशल देख

नतमस्तक हुए सारे।

तुम्हारे सामने तो कुछ नहीं,

देश के ये ताने - बाने।


कर्मवीरों की धरती को,

अपने शुभ कर्मो से सजाओ,

पर हर वक्त धर्मयुद्ध की,

रणभेरी न बजाओ।


देश कैसा हो, धरती कैसी हो,

यहां के कर्मवीर कैसे हो,

यह साथ बैठ एक योजना तो बनाओ,

पर हर वक्त हृदय भेदी तीर न चलाओ।


अनुभवी व पढ़े लिखे हो तुम,

पर कहीं तो तजुर्बा आजमाओ,

कागज़ कलम से लिख कर,

कोई अच्छा समाधान तो लाओ।


कुछ तो छोड़ दो सरकार के लिए,

कुछ अदालत और समाज के लिए।

हर काम में खुद को न आजमाओ।

गर नहीं तो पहले पढ़ लिख कर आओ।


धर्म के आधार पर बांटने से है अच्छा,

अच्छे - बुरे के आधार पर बांट देना।

लिखो कैसा देश हो तुम चाहते,

गर कर दे वतन तुम्हारे हवाले।


कुछ लिखने से पहले,

सोच लेना एक बार,

क्या हासिल है विश्वास तुम्हें,

आने वाली संतानों का।

क्या भविष्य में मिल जाएगी 

अनुमति, आज के कामों की।


अगर तुम ऊपर वाले को जानते,

तो धर्म नहीं, पहले खुद को पहचानते।

कोई क्या दिखाएगा ख़ुदा का रास्ता,

जब तुम खुद, खुद को नहीं पहचानते।



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