Shailaja Bhattad
Drama
हम तुमसे राजी क्या हुए
तुमने तो हमें ही सजा दे दी।
बेतहाशा मोहब्बत हमसे की
लेकिन शादी किसी और से कर ली।
इंद्रधनुष
माँ अम्बे
श्री राम
माँ जगदम्बा
होली
भक्त वत्सल रा...
बसंत पंचमी-1
वसंत पंचमी
तुम कीर्तिमान बना कर सब को आश्चर्यचकित करना। तुम कीर्तिमान बना कर सब को आश्चर्यचकित करना।
दुनिया भर का बोझ उठाए, ये नन्हे नन्हे हाथ मेरे...! दुनिया भर का बोझ उठाए, ये नन्हे नन्हे हाथ मेरे...!
एक जीत पाने के लिए, कई हार साथ होती है ! एक जीत पाने के लिए, कई हार साथ होती है !
कभी मुझसे मिलना चाहे तो, कहना पलकों को ढक कर उससे, दिलों में शायद ज़िंदा हो, यही बस... कभी जो बात... कभी मुझसे मिलना चाहे तो, कहना पलकों को ढक कर उससे, दिलों में शायद ज़िंदा हो, य...
सुना है कभी दौर हुआ करता था पत्थरों का अब तो पत्थर के हो गए हैं लोग। सुना है कभी दौर हुआ करता था पत्थरों का अब तो पत्थर के हो गए हैं लोग।
मजबूरी में करते काम, अशिक्षा का है परिणाम ! मजबूरी में करते काम, अशिक्षा का है परिणाम !
एक ओर हरा-भरा गाँव बजती हैं जानवरों के गले की घंटियाँ चरवाहों की हँसी के साथ दूसरी ओर रिसता है पीपल ... एक ओर हरा-भरा गाँव बजती हैं जानवरों के गले की घंटियाँ चरवाहों की हँसी के साथ दूस...
बेसबब गुज़रता रहता है शहरों की तंग गलियों से कभी तो कविता और ग़ज़लों की गली से होकर गुज़र बेसबब गुज़रता रहता है शहरों की तंग गलियों से कभी तो कविता और ग़ज़लों की गली से ह...
सूरज की आहत किरणों से दी है तुमने राहत मुझे ! सूरज की आहत किरणों से दी है तुमने राहत मुझे !
मोम के कोमल पंख लगाकर मैं क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ ? मोम के कोमल पंख लगाकर मैं क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ ?
तन्हा-तन्हा रातें अपनी मीठी-मीठी बातें उनकी क्या जाने हम सोच के अपनी आँखों में आँसू भर लाए ! तन्हा-तन्हा रातें अपनी मीठी-मीठी बातें उनकी क्या जाने हम सोच के अपनी आँखों मे...
कठिनाइयों के सामने यूँ मजबूर ना हो तू खुद ही एक कोहीनूर है ! कठिनाइयों के सामने यूँ मजबूर ना हो तू खुद ही एक कोहीनूर है !
हिमगिरि से निकल कर कल-कल, निरंतर प्रवाहमान करती छल- छल, है मेरी जलधारा निर्मल, पर्वत श्रृंखला मात... हिमगिरि से निकल कर कल-कल, निरंतर प्रवाहमान करती छल- छल, है मेरी जलधारा निर्मल,...
तुझे नहीं पता पर, ये ज़िन्दगी टिकी ही है तुझ पर...! तुझे नहीं पता पर, ये ज़िन्दगी टिकी ही है तुझ पर...!
बिलखती है ख़ामोशी चीख़ता है सन्नाटा पालनकर्ता माँग रहा है दो रोटी का आटा...! बिलखती है ख़ामोशी चीख़ता है सन्नाटा पालनकर्ता माँग रहा है दो रोटी का आटा...!
दे दे इतनी - सी रोशनी कि दिल का अंधेरा दूर कर सकूं मैं कोई टूटी हुई उम्मीद अभी भी जैसे कायम है दे दे इतनी - सी रोशनी कि दिल का अंधेरा दूर कर सकूं मैं कोई टूटी हुई उम्मीद अ...
कि जब बचपन मिले इसमें इस बार मायूसी ना हो...! कि जब बचपन मिले इसमें इस बार मायूसी ना हो...!
लहरों के बीच अपनी कश्ती में किनारे से दूर बैठा हूँ...। लहरों के बीच अपनी कश्ती में किनारे से दूर बैठा हूँ...।
बिना परिश्रम किए, कभी भी हार मान मत। बिना परिश्रम किए, कभी भी हार मान मत।
उसकी बिखरी खुशबू में कुछ बातें कहनी थी तुमसे... उसकी बिखरी खुशबू में कुछ बातें कहनी थी तुमसे...