सितारा
सितारा
जब भी तेरी आवाज़ हम सुनते हैं
शायरी फिर नये से हम बुनते हैं
आस्मान में चाहें कितने भी सितारे हों
तब भी हम लाखों मे एक तुम्हें चुनते हैं
रोज तुमको देखते रहते हैं
तुम पर लिखी शायरी को रोज गिनते हैं
तुमसे ही शब्द मिलते हैं
मेरे दिल से पार होकर ही वो शायरी बनते हैं
तेरी ख़ूबसूरती देखकर मैं तो क्या
मेरे शब्द भी अपनी औकात पहचानते हैं
तुम किसी सितारे से कम नहीं हैं
यह हम पहले से जानते हैं
हम तुमको कोई लड़की नहीं
आस्मान का सितारा ही मानते हैं।

