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Ram Chandar Azad

Tragedy Others

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Ram Chandar Azad

Tragedy Others

सीता की अग्नि-परीक्षा

सीता की अग्नि-परीक्षा

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यह खबर सारे प्रजा में व्याप्त थी।

मिल गयी सीता खबर पर्याप्त थी।

राम ने लंकापति का वध किया है।

राम को अब उनकी सीता प्राप्त थी।।


आज ख़ुशियों का समंदर मन लिए,

पति मिलन की लालसा वो मन लिए।

आज वर्षों बाद वह उनसे मिलेगी।

धड़केगा दिल आज ये जिसके लिए।।


बैठकर डोली में सीता चल पड़ी थी।

जिस शिविर में राम की सेना खड़ी थी।

पथ प्रदर्शक बन विभीषण चल रहे थे।

राम की भी दृष्टि डोली पर अड़ी थी।।


रोक दो डोली सिया को आने दो पैदल।

राम के स्वर लक्ष्मण को कर गए विह्वल।

सब चकित इक दूसरे को लख रहे थे।

राम के स्वर सुन व्यथित सब थे विकल।।


जानकी को राम का ऐसे बुलाना।

ज्यों धनुष पर बाण रख करके चलाना।

पालकी से जब उतर आगे बढ़ी वह,

फिर सुनाई पड़ गया आगे न आना।।


क्या हुआ प्रभु को सुने हनुमान विचलित।

मात सीता के लिए ये कैसी रीति प्रचलित।

ये पुनर्मिलन का है कैसा अद्भुत तरीका।

हर कोई स्तब्ध और अनजान विह्वलित।।


पर पुरुष के पास तुम अब तक रही हो।

मेरी नज़रों में गलत या सचमुच सही हो।

सिद्ध करना होगा अपनी पतिव्रता को,

तब तलक तुम राम की सीता नहीं हो।।


पति के ऐसे बात से मर गई सीता की इच्छा।

जब कहा श्री राम ने देनी होगी अग्नि-परीक्षा।

साँच को फिर आंच कैसी सोचती आगे बढ़ी।

पति के इच्छार्थे कुर्बान कर दी अपनी इच्छा।।


पुरुष की प्रधानता में दब गई स्त्री की इच्छा।

कह सकी न राम तुम भी दो अग्नि-परीक्षा।।

हो सफल संग राम के आ गई उनकी अयोध्या।

पर हृदय में चोट करती राम की अग्नि-परीक्षा।।


कब तलक हम स्त्रियाँ देती रहेंगी ये परीक्षा।

और ऐसे राम की करती फिरेगी पूरी इच्छा।

क्या पता कल और न जाने क्या सहना पड़े?

दर-ब-दर फिरना पड़े दे के भी अग्नि-परीक्षा।।



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