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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Drama

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Drama

सीता की अग्नि परीक्षा कब तक

सीता की अग्नि परीक्षा कब तक

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अतीत से वर्तमान तक,

सीता की अग्नि परीक्षा होती आई है,

आखिर! कब तक,

क्यों ! नहीं किसी युग में हुई,


राम की भी अग्नि परीक्षा,

नारी तो है जीवन आधार,

उससे ही बनता घर परिवार,

नारी ही तो माँ, बेटी, बहन किरदार,


फिर क्यों ! नारी पर ही लटकती है तलवार,

आखिर ! हर बार उसके सतीत्व पर उंगली है उठती,

आखिर ! हर युग में नारी ही क्यों! है सहती,

वह ही अकेले अग्नि परीक्षा है देती,

क्या राम गलत नहीं हो सकते ?


फिर वह क्यों ! न अग्नि परीक्षा देते,

आज भी जब नारी घर से निकलती है,

सबकी निगाहें उसे ही घूरती है,

रात में यदि नारी देर से आए,

उसके ऊपर ढेरों शामत मंडराए,


घर का हर शख़्स देरी

का कारण जानना चाहता है,

ढेरों प्रश्न पूछना चाहता है,

बाहर तो अकेले पाकर

हर कोई नारी को निगलना चाहता है,


आज भी सीता को हर दिन

अग्नि परीक्षा देनी है होती,

नारी को घर व बाहर अपनी रक्षा

ख़ुद ही करनी होती,

पुरूष रहे रात रात भर गायब,

उससे नही होती कुछ भी पूछने की कवायद,

नारी कितना भी करे समर्पण,


पर पुरुष को दिखाना है उसे अपने सतीत्व का दर्पण,

पिता, भाई, बेटा है पुरुषोत्तम राम,

गलत हो तब भी वो आदर्श का आयाम,

सीता को ही देनी होगी अग्नि परीक्षा,

नही चलेगी उसकी अपनी इच्छा,


पुरूष प्रधान समाज में वह न कर सकती प्रतिकार,

उसे अब भी एक गलती पर मिलेगा तिरस्कार,

अग्नि परीक्षा देकर ही सीता पा सकती है पुरस्कार,

तभी समाज करेगा सीता को स्वीकार।


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