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कीर्ति जायसवाल

Drama Inspirational

5.0  

कीर्ति जायसवाल

Drama Inspirational

सीमाएँ...बहुत ही दूर

सीमाएँ...बहुत ही दूर

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पर्वत को तू हिला सकता है,

भूतों को तू डरा सकता है,

हर दानव को हरा सकता है,

जल की बूँदें जला सकता है।


तू तो है अनजान; पता न

"जीवन कैसे है जीना",

तीन ही सीढ़ी चढ़ा और बोला-

खत्म हो गयी सीमा।


"बिन पग के न उड़ूँ" सोचते

वायुयान फिर कैसे बनते !

"बिन पग के न चलूँ" सोचते

देख ! पंगु यह कैसे चलते।


तू तो है अनजान, पता न

"जीवन कैसे है जीना";

सीमित स्वयं तू हो गया;

न खत्म हो गयी सीमा।


अंगूर तू लेने चला

जो दूरी पर तो

बोले 'खट्टे';

आलस न कर;

हे मानव !

तुम हर कुछ संभव कर सकते।


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