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Divyanshi Triguna

Abstract Romance Fantasy

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Divyanshi Triguna

Abstract Romance Fantasy

श्याम मन के ख्वाब

श्याम मन के ख्वाब

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मेरा मन जो ख्वाब बुने हैं, 

वो तो बस नारायण के हैं..

मन में उनकी छवि बसाकर, 

चाहती हूं मैं दिल लगाकर..


तारों सा ये मेरा जहां हैं, 

जिसमें चांद मेरा सांवरिया हैं..

बातें बहुत हैं मन की सारी, 

कैसे कहूं मैं, ओ त्रिपुरारी..


मन मन्दिर में तुमको रहना,

हर पल जीवन बनकर बहना..

भूलना जाना, तुम मोहना,

हम तो तुम्हारे, बस यही कहना.......


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