STORYMIRROR

अच्युतं केशवं

Abstract

4  

अच्युतं केशवं

Abstract

शूल-सुमन के साथ अगर हँसते गाते

शूल-सुमन के साथ अगर हँसते गाते

1 min
362

शूल-सुमन के साथ अगर हँसते गाते,

रहना चाहो तो भारत में वास करो।


मत ढूड़ो उनके पद चिह्नों को भू पर,

जो मानव रहते ऊँचे आकाशौं में।

गौरवान्वित धरती माता के बेटे,

निज गणना करवा देवों के दासों में।


रार ठानकर नभ चुम्बित आवासों से,

कुटिया में रह सको हमारा साथ करो।

शूल-सुमन के साथ अगर हँसते गाते,

रहना चाहो तो भारत में वास करो।


मैं खूँटे से बँधा हुआ मृग-छौना हूँ,

पर खूँटे को मैने चुनकर पकड़ा है।

धरती का बेटा धरती की ममता ने,

मेरे प्राण देह मन सबको जकड़ा है।


मुझे न जाना कहीं यहीं पर मैं खुश हूँ,

तुम भी चाहो वास आज की रात करो।

शूल-सुमन के साथ अगर हँसते गाते,

रहना चाहो तो भारत में वास करो।


इसकी धूलि बनी है माथे की रोली,

इस मिट्टी में है सुवास नन्दन वन का।

रोम-रोम है ऋणी प्राण मन बन्धक है,

इतना ऋण है मुझ पर इसके कण-कण का।


बनना अगर चाहते तो मिटना सीखो,

इसके हित अर्पित निज जीवन गात करो।

शूल-सुमन के साथ अगर हँसते गाते,

रहना चाहो तो भारत में वास करो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract